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Kal Bhairavashtakam
Acharya Aditya
December 1, 2024
Religion
॥ भैरवाष्टकम् ॥
श्रीभैरव उवाच:
देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादि योगिवृन्द वन्दितं दिगम्बरं काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ १ ॥
भानुकोटि भास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमम्बुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २ ॥
शूलटङ्क पाशदण्ड पाणिमादि कारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३ ॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहम् भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन् मनोज्ञहेमकिङ्किणी लसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ४ ॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाश शोभिताङ्गमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५ ॥
रत्नपादुका प्रभाभिराम पादयुग्मकं नित्यम् अद्वितीयम् इष्टदैवतं निरञ्जनम् ।
कामदं करालदं महाश्रयं कृपाकरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६ ॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७ ॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८ ॥
फलश्रुतिः
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम् ॥
|| इति श्रीमत् शङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम् ॥
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