नवग्रह की शांति के लिए मंत्र:
ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि-सुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु॥
ब्रह्मा, विष्णु, और शिव (त्रिपुरांतकारी), सूर्य (भानु), चंद्रमा (शशि), मंगल (भूमि पुत्र), बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु इन सभी ग्रहों को शांत करें और इनके नकारात्मक प्रभाव से हमारी रक्षा करें।
- ग्रह दोष निवारण: यह मंत्र ग्रह दोषों को शांत करता है और कुंडली में अशुभ प्रभाव को कम करता है।
- जीवन में शांति: नवग्रहों की कृपा से जीवन में शांति, संतुलन और सफलता मिलती है।
- आध्यात्मिक उन्नति: मंत्र जप से आत्मा की शुद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- प्रातःकाल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शुद्ध स्थान पर आसन लगाकर दीपक जलाएं।
- इस मंत्र का जप करते समय त्रिदेवों का ध्यान करना चाहिए ।
- जप के दौरान शांत मन से ध्यान लगाएं और त्रिदेवों एवं नवग्रहों से कृपा की प्रार्थना करें।